30/09/2020

समास किसे कहते हैं?

 समास का शाब्दिक अर्थ है 'संक्षेपीकरण'।


दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए एक नवीन एवं सार्थक शब्द को समास कहते हैं।


समास के नियमों से निर्मित शब्द सामासिक शब्द या समस्त पद कहलाते हैं।


सामासिक शब्दों को अलग-अलग करना समास-विग्रह कहलाता है।


राजपुत्र - सामासिक शब्द या समस्त पद है।


राजा का पुत्र - समास-विग्रह है।


जिन दो मुख्य शब्दों के मेल से समास बनता है, उन शब्दों को खंड या अवयव/ पद कहते हैं।


जैसे- घनश्याम


घन (प्रथम पद/ पूर्व पद) + श्याम (उत्तर पद)


जिस खंड या पद पर अर्थ का मुख्य बल पड़ता है उसे प्रधान पद कहते हैं तथा जिस खंड पर अर्थ का बल नहीं पड़ता है उसे गौड़ पदकहते हैं।


विशेष :पदों की प्रधानता के आधार पर समास के चार प्रकार हैं:


1.अव्ययीभाव समास - इसमें पूर्व पद प्रधान होता है।


2.तत्पुरुष समास - उत्तर पद प्रधान होता है।


3.द्वंद्व समास - दोनों पद प्रधान होते हैं।


4.बहुब्रीहि समास - दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं।


समास के भेद निम्न हैं:


1.अव्ययीभाव समास


2.तत्पुरुष समास


3.द्वंद्व समास


4.द्विगु समास


5.कर्मधारय समास


6.बहुब्रीहि समास


"द्वंद्व में और छिपा रहता, द्विगु में संख्या पद आवत है।


बीच में कारक चिह्न छिपा, तत्पुरुष समास कहावत है।


पहले पद/अव्यय में अव्ययी, बहुब्रीहि में अन्य प्रधान रहे।


पहले पद जो विशेषण हो कर्मधारय समास कहावत है।"


हिंदी भाषा में 'र' की विभिन्न मात्राएं

 हिंदी वर्णमाला में 'र' एक अल्पप्राण, घोष, अंतस्थ तथा मूर्धन्य ध्वनि है। इस व्यंजन की विशेषता है कि यह मात्रा के रूप में दूसरे व्यंजन से जुड़ता है।


स्वर रहित 'र':


स्वर रहित 'र' को व्याकरण की भाषा में 'रेफ़' कहते हैं जब यह दो वर्णों के बीच में आता है तो यह अपने आगे वाले वर्ण के ऊपर चला जाता है।


जैसे- ध र् म = धर्म


क र् म = कर्म


यदि आगे वाला वर्ण मात्रायुक्त होता है तो 'र' उस आगे वाले वर्ण के मात्रा में जुड़ता है।


जैसे- आ र् या = आर्या


अ र् पि त = अर्पित


स्वर सहित 'र':


'र' से पहले यदि स्वर सहित व्यंजन हो तो यह अपने पहले वाले वर्ण के साथ अर्थात स्वर रहित व्यंजन के साथ जोड़ा जाता है और इसके उस व्यंजन के पैर में लगने के कारण इसे व्याकरण की भाषा में पदेन कहा जाता है।


जैसे- क्र = क् + र


ग्र = ग्र + र


इसका प्रयोग दो प्रकार से किया जाता है:


1. पाई वाले स्वर रहित व्यंजनों के साथ इसका प्रयोग तिरछी रेखा के रूप में होता है।


पाई से तात्पर्य है खड़ी लाइन (।), जब ऐसे खड़ी लाइन वाले आधे व्यंजनों के साथ 'र' जुड़ता है तो वह तिरछी रेखा के रूप में जोड़ा जाता है।


जैसे- ग् + र = ग्र


प् + र = प्र


2. छोटी पाई वाले स्वर रहित व्यंजन में 'र' उल्टे वी (^)के आकार में लगाया जाता है।


जैसे- ट् + र = ट्र


ड् + र = ड्र


विशेष:


# द में र तिरछी रेखा के रूप में जुड़ता है।


द् + र = द्र


# ह के साथ र की स्थिति इस प्रकार होती है :


ह् + र = ह्र


# त और श के साथ र की स्थिति इस प्रकार होती है:


त् + र = त्र


श् + र = श्र